Tuesday, November 29, 2016

कठिन है राह-गुज़र थोड़ी देर साथ चलो Kathin hai rahguzar thodi dur sath chalo

कठिन-है-राह-गुज़र-थोड़ी-देर-साथ-चलो
कठिन है राह-गुज़र थोड़ी देर साथ चलो।
बहुत कड़ा है सफ़र थोड़ी देर साथ चलो।

तमाम उम्र कहाँ कोई साथ देता है
ये जानता हूँ मगर थोड़ी दूर साथ चलो।

नशे में चूर हूँ मैं भी तुम्हें भी होश नहीं
बड़ा मज़ा हो अगर थोड़ी दूर साथ चलो।

ये एक शब की मुलाक़ात भी गनीमत है
किसे है कल की ख़बर थोड़ी दूर साथ चलो।

तवाफ़-ए-मंज़िल-ए-जाना हमें भी करना है
‘फ़राज़’ तुम भी अगर थोड़ी दूर साथ चलो।
                                             
                                                          - अहमद फ़राज़

Sunday, November 27, 2016

छोटी सी ज़िंदगी है हर बात में खुश रहो chhoti si zindagi hai har baat mein khus raho

chhoti-si-zindagi-hai-har-baat-mein-khus-raho
छोटी सी ज़िंदगी है
हर बात में खुश रहो

जो चेहरा पास ना हो
उसकी आवाज में खुश रहो

कोई रूठा हो तुमसे
उसके इस अन्दाज में खुश रहो

जो लौट कर नहीं आने वाले
उन लम्हों की याद में खुश रहो

कल किसने देखा है
अपने आज में खुश रहो

खुशियों का इन्तजार किस लिए
दूसरों की मुस्कान में खुश रहो

क्यों तड़पते हो हर पल किसी के साथ को
कभी-कभी अपने आप में खुश रहो

छोटी सी तो ज़िंदगी है
हर हाल में खुश रहो

Sunday, November 20, 2016

देखा पलट के उस ने के हसरत उसे भी थी Dekha palat ke us ne ke hasrat usay bi thi

 देखा पलट के उस ने के हसरत उसे भी थी
हम जिस पर मिट गए थे मुहब्बत उसे भी थी

चुप हो गया था देख कर वो भी इधर उधर
दुनिया से मेरी तरह शिकायत उसे भी थी

ये सोच कर अंधेरे मे गले से लगा लिया
रातों को जागने की आदत उसे भी थी

वो रो दिया मुझ को परेशान देख कर
उस दिन पता लगा के मेरी ज़रूरत उसे भी थी

Tuesday, November 15, 2016

मार ही डाल मुझे चश्म-ए-अदा से पहले Maar hi Daal mujhe chasm-e-adaa se pahale

मार ही डाल मुझे चश्म-ए-अदा से पहले
अपनी मंजिल को पहुँच जाऊँगा कज़ा से पहले

इक नज़र देख लूं आ जाओ कज़ा से पहले
तुम से मिलने की तमन्ना है खुदा से पहले

हश्र के रोज़  मैं पूछूंगा खुदा से पहले
तूने रोका नहीं क्यों मुझको खता से पहले

ऐ मेरी मौत ठहर उनको जरा आने दे
जहर का जाम न दे मुझको दवा से पहले

हाथ पहुंचे भी न थे जुल्फ दोता तक मोमिन
हथकड़ी डाल दी ज़ालिम ने खता से पहले

                                              - मोमिन  ख़ाँ 'मोमिन'
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कज़ा=मौत;   हश्र = क़यामत का दिन;   दोता=मोड़