तेरे दुःख और दर्द का मुझपर भी हो ऐसा असर
तू रहे भूखा तो , मुझसे भी न खाया जाए
तेरी मंजिल को अगर रास्ता न मै दिखला सकूँ
मुझसे भी मेरी मंजिल , को न पाया जाए
तेरे तपते शीश को गर ,छाँव न दिखला सकूँ
मेरे सर की छाँव से ,सूरज सहा न जाए
तेरे अरमानो को गर मै , पंख न लगाव सकूँ
मेरी आशाओं के पैरों से चला न जाये
तेरे अंधियारे घर को रोशन अगर न कर सकूँ
मेरे आंगन के दिए से भी जला न जाये
तेरे घावों को अगर , मरहम से न सहला सकूँ
मेरे नन्हे जख्म को बरसों भरा न जाए
आग बुझती है यहाँ ,गंगा में भी झेलम में भी
कोई बतलाये कहाँ , जाकर नहाया जाए
तू रहे भूखा तो , मुझसे भी न खाया जाए
तेरी मंजिल को अगर रास्ता न मै दिखला सकूँ
मुझसे भी मेरी मंजिल , को न पाया जाए
तेरे तपते शीश को गर ,छाँव न दिखला सकूँ
मेरे सर की छाँव से ,सूरज सहा न जाए
तेरे अरमानो को गर मै , पंख न लगाव सकूँ
मेरी आशाओं के पैरों से चला न जाये
तेरे अंधियारे घर को रोशन अगर न कर सकूँ
मेरे आंगन के दिए से भी जला न जाये
तेरे घावों को अगर , मरहम से न सहला सकूँ
मेरे नन्हे जख्म को बरसों भरा न जाए
आग बुझती है यहाँ ,गंगा में भी झेलम में भी
कोई बतलाये कहाँ , जाकर नहाया जाए
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